बल्कि...
ज़ुुुुल्म की शुरुवात है!!!!
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
प्रतिशोध ज़ुुुुल्म का अंत नहीं
ReplyDeleteबल्कि...
ज़ुुुुल्म की शुरुवात है!!!! क्या बात कही सधु जी | सचमुच क्षोभ से प्रतिशोध तक पहुंची बात ही तो महाभारत रचवाती है |
सचमुच क्षोभ से प्रतिशोध तक पहुंची बात ही तो महाभारत रचवाती है |
Deleteबिल्कुल
सत्य वचन
ReplyDeleteआभार!
ReplyDeleteसादर