Friday 30 October 2020

तू विहारी, मैं बिहारी साम्य यही सब पर भारी

अगन से तेज अनुभव तेरा

तू अरुणोदय की लाली ।

जल से पतला ज्ञान तेरा 

मैं नीर क्षीर की प्याली ।

प्रेम तो गहरा सागर जैसा 

क्या थाह लगा पाए कोई!!

क्रोध है तेरा काजल जैसा 

बस लिप्त सना रह जाए वहीं।


निशाकाल है तेरा प्रिय तो

महागौरी का प्रतिबिंब ले धारी।

तू विहारी, मैं बिहारी साम्य यही

 सब पर भारी  ।।😊

।।सधु।। 

2 comments:

  1. निशाकाल है तेरा प्रिय तो

    महागौरी का प्रतिबिंब ले धारी।

    तू विहारी, मैं बिहारी साम्य यही

    सब पर भारी ।।😊

    वाह!

    ReplyDelete

राम एक नाम नहीं

राम एक नाम नहीं  जीवन का सोपान हैं।  दीपावली के टिमटिमाते तारे  वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की  पवित्र पर...