वो दीया बनूँ जो
तुम्हारे राह का उजाला बने।
वो पैर बनूँ जो
तुम्हारे संघर्ष का छाला बने।
हर दिन हर पल मैं तुम्हारी
मुस्कुराहट की वजह बनूँ
न हों स्थगित ख़्वाहिशें
तेरी कामयाबी का
ऐसा प्याला बनूँ।
भीड़ में न कभी
महसूस होने दूँ अकेला
जीवट प्रीत की
वो अदम्य साहस बनूँ
न गिले ,न शिकवे,न शिकायत
न हिदायत बनूँ
सारी बलाएँ ले लूँ तुम्हारी
तुम्हारी शक्ति,तुम्हारा मनोबल
तुम्हारा सशक्त साया बनूँ।
।। प्रगति मिश्रा "सधु"।।
I know that I am not the one to comment on your writings but honestly ma'am I was speechless after reading this....I don't have words to write anything...... Waiting for more such creations...
ReplyDeleteYour Student
Ayushi 😊
Thank you dear
Deleteवो दिया बनूँ जो
ReplyDeleteतुम्हारे राह का उजाला बने।
वो पैर बनूँ जो
तुम्हारे संघर्ष का छाला बने।
हर दिन हर पल मैं तुम्हारी
मुस्कुराहट की वजह बनूँ
बेहतरीन..
हार्दिक आभार दी
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शनिवार 10 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका मार्गदर्शन सदैव मिलता रहे
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteन गिले ,न शिकवे,न शिकायत
ReplyDeleteन हिदायत बनूँ
सारी बलाएँ ले लूँ तुम्हारी
तुम्हारी शक्ति,तुम्हारा मनोबल
तुम्हारा सशक्त साया बनूँ। प्रेम का विशवास भारती सुंदर रचना , प्रगति जी | कृपया फ़ॉलो का विल्कप लगायें जिससे पाठकों तक आपकी रचना पहुंचे |
धन्यवाद
ReplyDeleteनिश्चय ही
न गिले ,न शिकवे,न शिकायत
ReplyDeleteन हिदायत बनूँ
सारी बलाएँ ले लूँ तुम्हारी
तुम्हारी शक्ति,तुम्हारा मनोबल
तुम्हारा सशक्त साया बनूँ।
वाह!
शब्दहीन करती कविता
आभार सादर
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