बोल और सोच के बीच है
बड़ा ही गहरा नाता
जिसका सही उपयोग भी
किसी-किसी को ही आता।
वही तो है ...जो मनुष्य के
व्यक्तित्व को दर्शाता ।
तोल मोल के बोल
कि भैया ये बोल है अनमोल
मीठा बोल किसे न भाता ?
एक बोल ही तो है, जिससे ...
मनुष्य-पशु से अलग कहलाता
जिससे ...एक इंसान
दूसरे के लिए दौड़ा चला आता।
यह बोल ही है जो कि
मधुर-कटु संबंध बनाता
मुँह से पान के अलावा
कुछ और भी खिलाता ।
अब यह हम पर निर्भर करता है कि
हमें क्या चाहिए?
मान -सम्मान या अपमान चाहिए ।
हम सोच कर बोलेंगे या
बोलकर सोचेंगे ।
क्योंकि ...
बंदूक से निकली गोली और
मुंह से निकली बोली
वापस नहीं आती
इसलिए...
जब भी बोलो
सोच कर बोलो
अपने शब्दों को खुद ही टटोलो।
।।सधु।।
सही बात।
ReplyDeleteआभार सादर
Deleteवाह!
ReplyDeleteसत्य वचन
हार्दिक आभार
Deleteसादर