मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
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खृष्टाव्दीयं नववर्षमिदम् --- इति कामये ।।सधु चन्द्र:।।🌷
सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु । सर्व: कामानवाप्नोतु सर्व: सर्वत्र नंदतु । " सब लोग कठिनाइयों को पार करें, कल्याण ही कल्या...
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जय-जय-जय चापलूस महाराज स्वाभिमान ना आता तुमको रास। पिछल्ले बने घूमते तुम नहीं रुकता कभी तुम्हारा कोई काज । गुडबुक्स में ऊपर र...
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एक वक़्त था कि प्रेम-पत्र लिखे जाते थे । संकोचवश मन की बात जो अधरों तक ना आ पाती उसे शब्दों में पिरोए जाते थे। सुख...
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हथौड़ी के बार-बार प्रहार करने पर ताला खुलता नहीं टूट जाता है। निरंतर वार पर जब अभिमानी ताला न खुला तब हथौड़ी ने,...
वाह।
ReplyDeleteआभार
Deleteसादर