Tuesday, 17 November 2020

छठ महापर्व" प्रकृति, मिट्टी व अपनों से जुड़ाव की सीख देता है।

 "छठ महापर्व" 
प्रकृति, मिट्टी व अपनों से जुड़ाव की सीख देता है। 

पवित्रता एवं आस्था का महापर्व "छठव्रत" का अनुष्ठान अपने आप में एक यज्ञ है । जिसमें परम्पराओं का अनुसरण अभीष्ट है। बड़े-बूढ़ो व बच्चों के सान्निध्य में किया जाने वाला यह व्रत परिवारिक पुनजोर का प्रतीक है। 
छठ पूजा में अभी भी आम के दातुन(दतवन)हीं प्रयुक्त होते है; मिट्टी का चूल्हा, धातु के बर्तन(ताम्बा,काँसा आदि), आम की लकड़ी का जलावन, शुद्ध घी,  गुड़, चुने धुले हुए गेहूं का ठेकुवा,कचवनीया,मोदक व मौसमी फल । ये सभी इसी और इंगित करते हैं कि यह पर्व प्रकृति का पर्व है,मिट्टी का पर्व है, परिवार का पर्व है, देश का पर्व है, पर्यावरण का पर्व है , भौतिकता से दूर आत्मीयता, सौहार्द का पर्व है । जहाँ समभाव से परिवार किसी के उत्कर्ष एवं अपकर्ष में साथ बने रहते हैं। यहाँ सूर्य का उदय होना व्यक्ति के उत्कर्ष का प्रतीक है एवं सूर्य का अस्त होना उसके अपकर्ष का अत: छठ की पूजा में सूर्य के दोनों रूपों की पूजा होती है।
निश्चय ही यह पर्व आत्मबल का पर्व है अन्यथा यूँ ही कोई 4दिन के पर्व को जिसमें 36 घंटे निर्जला ,48घंटे में सिर्फ एक बार खीर -रोटी का ग्रहण कर कांति, ओज व प्रफुल्लता से  भरा नहीं होता......
जय हो छठी मैया🙏🙏🙏

2 comments:

  1. प्रकृति से जुड़े छठ पर्व के बारे में ब्लॉग जगत से जुड़कर ही जाना | हार्दिक कामनाएं सधू जी | सचमुच इतना कठोर व्रत एक यज्ञ अनुष्ठान से कम नहीं |

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