मक्खी पूरे खूबसूरत शरीर को छोड़
केवल घाव पर ही बैठती है
ठीक उसी प्रकार
कुछ विश्लेषक ऐसे भी होते हैं...
जो विश्लेषण-वस्तु में उत्कृष्टता छोड़
केवल उसके अवगुण का ही
आकलन करते हैं ।
ये छिद्रान्वेषी
चुन-चुन कर
आपकी कमियाँ निकालते हुए
कबीर के दोहे को चरितार्थ करते हैं-
निंदक नेड़ा रखिए...
भविष्य में
यही आपके मार्गदर्शन बनते हैं
और मंजिल प्राप्त होने पर
कभी न कभी
कहीं ना कहीं ज़रूर याद आते हैं
इन विश्लेषकों को मेरा सादर नमन है
जो हमारे इर्द-गिर्द
आसपास चारों ओर उपस्थित होकर
उचित राह दिखाते हैं।
।।सधु।।
चित्र -साभार गूगल
सही आकलन है आपका।.....
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteआभार
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०७-११-२०२०) को 'मन की वीथियां' (चर्चा अंक- ३८७८) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
--
अनीता सैनी
मेरी इस प्रविष्टि को "मन की विथियाँ" पर आमंत्रित करने हेतु आभार ।
Deleteसादर
बहुत सुंदर जी....सत्य है जीवन मे निंदक अहम भूमिका रखते है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteबेहतरीन।
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteसुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक आभार
Deleteशानदार कविता
ReplyDeleteआजकल इनकी तादात बढ़ गई है।
आभार!
Deleteसादर