Thursday, 5 November 2020

ज्वलन उस कपूर सा....न क्लेश कोई बच पाए

बस यूँ ख़ुद को जला ली कि 
कहीं तू न भटक  जाए
न राह हो अंधेरा तेरा
न मंज़िल से पहले अटक जाए
मेरा ज्वलन उस कपूर सा
जो जले ऐसे कि......
लिए ख़ुशबू न क्लेश कोई बच पाए।।                

।।सधु।।
चित्र-साभार गूगल

7 comments:

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  2. मेरा ज्वलन उस कपूर सा
    जो जले ऐसे कि......
    लिए ख़ुशबू न क्लेश कोई बच पाए।।
    वाह!

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