प्रवेश करती राशि
कई संकेतों को दर्शाती है
है सूचक यह परिवर्तन का
सभी को निद्रा से जगाती है।
यह संक्रांति विशेष है जो
तमस की देह पर
आलोक सूरज
का सजाता है।
खिचड़ी भोग
कुटिया और महल
को भी मिलाता है।
दिवस की यात्रा
लम्बी निशा को
यही घटाता है।।
दान का इसलिए है पर्व
जगे देव का व्यवहार।
गंगा तीर्थ अवगाहन पावन
संस्कृति संस्कार।।
पूर्व गोलार्ध शनि सुत से मिलने
आ रहे दिनमान।
पतंगों की फुलवारी गगन
का व्यक्त ये आभार।।
मकर-संक्रांति की अनन्त शुभकामनाएँ
।।सधु चन्द्र।।
चित्र- साभार गूगल
समय का ये संधिकाल विशेष है सधू जी | आपको भी मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई | सबका मंगल हो |
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसादर।
मकर संक्रांति को सहज और सुंदर तरीके से रेखांकित करती समसामयिक रचना..मकर संक्रांति की शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..
ReplyDeleteहार्दिक आभार।
Deleteसादर।
सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति का हार्दिक शुभकामनाएँ।
हार्दिक आभार।
Deleteसादर।