तीन तरह के लोग हैं
शुद्ध, अशुद्ध, मिलावटी
किंतु यह दौर है
केवल मिलावट का।
इस मिलावट के दौर में
कौन सच बोलता है !!!
पता नहीं।
साक्षात् दिखने वाले
कपड़े और चेहरे
अक्सर झूठ बोला करते हैं ।
इनके साथ
हाँ में हाँ मिलाने वाले की भी
कमी नहीं
खैर!!!
मनुष्य की वास्तविकता तो
समय ही बताता है।
अगर हम
अपने बीते हुए कल के
हर एक क्षण से
कुछ -कुछ नया
सीखना शुरू कर दे
तो ...
आने वाले कल के
हर एक पल को ...
खुशहाल बना सकते हैं
सौगात बना सकते हैं।।
।।सधु चन्द्र।।
व्यतीत की गलतियां भविष्य के लिये शिक्षा ही देंगी। अच्छे व स्पष्ट भावों से भरे शब्द। शुद्ध, अशुद्ध के अलावा विशुद्ध और परिशुद्ध भी तो है।
ReplyDeleteमार्गदर्शन के लिए आभार माननीय ।
Deleteसादर।
अत्यंत सुन्दर सीख भरा सृजन ।
ReplyDeleteहार्दिक आभार मीना जी।
Deleteसादर।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
सच कहा है ... बीते कल से सीख ली तो आने वाला कल अच्छा हो सकता है ... सार्थक विचार ..
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
सशक्त व प्रभावशाली लेखन - - नमन सह।
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
वर्मान परिदृश्य को उकेरती सुन्दर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।
वाह!
ReplyDeleteहार्दिक आभार माननीय।
Deleteसादर।