कि भाप जाते हैं
नज़र मिलाने से पहले।
कभी तेरी उठती नज़रें...
कभी तेरी झुकती नज़रें...
उठाने और
गिराने का
इरादा साथ रखते हैं...।
।।सधु चन्द्र।।
चित्र - साभार गूगल
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
उठा कर गिराना, गिरा कर उठाना, गजब ढा गया
ReplyDeleteहार्दिक आभार सादर।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक आभार। सादर।
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (04-04-2021) को "गलतफहमी" (चर्चा अंक-4026) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ-
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सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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हार्दिक आभार। सादर।
Deleteबहुत ख़ूब सधु जी !
ReplyDeleteहार्दिक आभार। सादर।
Delete👌👌👌👌👌
ReplyDeleteहार्दिक आभार। सादर।
Deleteबहुत खूब लिखा सधु जी 👌👌👌हार्दिक शुभकामनाएं🙏🙏
ReplyDeleteहार्दिक आभार। सादर।
Deleteधार तेरी तीखी नजरों की...
ReplyDeleteकि भाप जाते हैं
नज़र मिलाने से पहले।
प्रेमालंकृत सुंदर पंक्तियाँ। ।।।। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया सधु जी।
हार्दिक आभार। सादर।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक आभार। सादर।
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक आभार। सादर।
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