Tuesday, 31 August 2021

दिमाग एक ऐसा अंग...

दिमाग 
एक ऐसा अंग जो...
चलता है 
चलाता भी।
जगता है
सोता भी।
गर्म भी होता है 
ठंडा भी ।
अच्छा होता है
खराब भी ।
खाया भी जा सकता है 
चाटा भी ।
खुलता भी है 
बंद भी ।
और तो और 
बत्ती भी जलती है  
जमता है दही भी  😜😜😜

यह दिमाग ही है जो 
आवेश को 
नियंत्रण में रखता है ।
पर प्रयोग न करने पर 
दीमक भी लगता है।

।।सधु चन्द्र।। 

चित्र साभार- गूगल 


6 comments:

  1. वाह,बहुत सुंदर सार्थक व्याख्या दिमाग की ।

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 01 सितम्बर 2021 शाम 3.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत अच्छी तरह से लिखा है आपने एक अनूठे विषय को।

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  4. पढ़ने में भी दिमाग लग गया!

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  5. बहुत खूब,"दिमाग" की हर परत खोल दी आपने ,सादर नमन आपको

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  6. आपने लिखने में दिमाग़ लगाया, हमने पढ़ने में।

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खृष्टाव्दीयं नववर्षमिदम् --- इति कामये ।।सधु चन्द्र:।।🌷

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