घरों पे नाम थे...
नामों के साथ ओहदे ।
बहुत तलाश किया पर,
कोई आदमी ना मिला ।।
#बशीर बद्र
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
सर्वस्तरतु दुर्गाणि सर्वो भद्राणि पश्यतु । सर्व: कामानवाप्नोतु सर्व: सर्वत्र नंदतु । " सब लोग कठिनाइयों को पार करें, कल्याण ही कल्या...
ऐसा ही होता है सधु जी। क्या किया जाए? दुनिया ऐसी ही हो गई है। साझा करने के लिए आपका आभार।
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