Monday, 13 December 2021

#विस्तार

जिसमें जितनी अधिक क्षमता होगी उससे उस क्षमता को पूरा करने में उतनी ही गलतियाँ होंगी ।
अब हमें विचार करना है कि हम उस क्षमता को काट-छाँट कर एक छोटा सा बगीचा बनाएँ
या उसकी गलतियों को सुधारते हुए एक विस्तृत जंगल।।

।।सधु चन्द्र।। 

4 comments:

  1. सही कहा... बेहतरीन।
    सादर

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार(14-12-21) को "काशी"(चर्चा अंक428)पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
    --
    कामिनी सिन्हा

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  3. विचारणीय प्रश्न।।
    सार्थक पोस्ट।

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