यदि ईश्वर ने सौ वर्ष निर्धारित किये तुम्हारे लिए तो....
मैं एक दिन कम जीना चाहूंगी .......
मानव नव रसों की खान है। उसकी सोच से उत्पन्न उसकी प्रतिक्रिया ही यह निर्धारित करती है कि उसका व्यक्तित्व कैसा है ! निश्चय ही मेरी रचनाओं में आपको नवीन एवं पुरातन का समावेश मिलेगा साथ ही क्रान्तिकारी विचारधारा के छींटे भी । धन्यवाद ! ।।सधु चन्द्र।।
राम एक नाम नहीं जीवन का सोपान हैं। दीपावली के टिमटिमाते तारे वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की पवित्र पर...
Aha क्या बात कही सधु जी.
ReplyDeleteजिससे इतनी आत्मीयता हो उसके बिना क्यूँ जिया जाए.
मुझे लगता हैकि
यदि ईश्वर ने सौ वर्ष निर्धारित किये तुम्हारे लिए तो
यदि ईश्वर ने सौ वर्ष निर्धारित किये हमारे लिए तो
सही होता
😀😀😀💐🙏
Deleteसमर्पित भाव
ReplyDeleteआभार!
Deleteसादर