इंसान अपने भीतर
कितना भी बदलाव
क्यों न लेकर आए
लेकिन ...
वह दूसरे की सोच को
नहीं बदल सकता
उसके विचारों पर
खरा नहीं उतर सकता
दूसरे को संतुष्ट
नहीं कर सकता
क्योंकि...
नज़र का इलाज है
नज़रिए का नहीं।।
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बचके रहना कि अब
सुइयों की कद्र नहीं
तलवार की धार पे अब
रिश्ते सिले जाते हैं ।
।।सधु।।
बहुत सटीक।
ReplyDeleteआभार
Deleteसादर
बहुत खूब
ReplyDeleteआभार
Deleteसादर
वाह।
ReplyDeleteआभार
ReplyDeleteसादर
बहुत खूब सधु जी,
ReplyDeleteजो चीज जितनी बड़ी है उससे कई गुणा बड़े रूप में देखने की आदत पड़ चुकी हैं हमें.
जी
Deleteसादर आभार
बचके रहना कि अब
ReplyDeleteसुइयों की कद्र नहीं
तलवार की धार पे अब
रिश्ते सिले जाते हैं ।
उत्कृष्ट व्यंग्य
आभार!
Deleteसादर