Sunday, 1 November 2020

उन्मुक्त मन का आयतन

उन्मुक्त मन का आयतन
उस निर्धारित परिमाप से
कहीं विस्तृत ....
जिसे नियति ने नियत किया
पर  हर  दिन उस स्वप्निल
उड़ान को जी लेती...
जिसे तुम्हें ले देखा है

।।सधु।। 
(चित्र -साभार गूगल)

6 comments:

  1. नया कोई स्वप्न रचती आपकी खूबसूरत रचना। बधाई व शुभकामनाएँ सधु जी।

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  2. उन्मुक्त मन का आयतन
    उस निर्धारित परिमाप से
    कहीं विस्तृत ....
    जिसे नियति ने नियत किया
    पर हर दिन उस स्वप्निल
    उड़ान को जी लेती...
    जिसे तुम्हें ले देखा है

    वाह!

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