Sunday, 8 November 2020

तुम मेरे तल को रौशन करो , हम तुम्हारे तल को रौशन कर जाए🙏🙏🙏


उन दीए का क्या !!!
जो अपने तल को छोड़ 
दुनिया को रौशन करते हैं ।

ज्योति तो, बाती देती है 
पर बाति को 
जरूरत पड़ती है 
एक सहारे की 
एक आवरण की
जो उसे दिए से मिलती है ।

दीया जितना आवरण छेकता है 
उतने दूर तक प्रकाश को घेरता है 
और रह जाता दीपक तले अंधेरा।

ठीक उसी प्रकार 
मनुष्य चारों ओर 
ज्ञान रूपी प्रकाश तो बाँटता फिरता है 
पर अपने भीतर के अंधकार को 
दूर नहीं कर पाता।

चलो ...
अपने  भीतर  
सुधार लाएँ 
दूसरों की कमियों के पहले 
अपनी कमियों पर नज़र दौड़ाएँ

तुम मेरे तल को रौशन करो 
हम तुम्हारे तल को रौशन कर जाए🙏🙏🙏

4 comments:

  1. सटीक उक्ति...सुंदर रचना..!

    ReplyDelete
  2. चलो ...
    अपने भीतर
    सुधार लाएँ
    दूसरों की कमियों के पहले
    अपनी कमियों पर नज़र दौड़ाएँ

    तुम मेरे तल को रौशन करो
    हम तुम्हारे तल को रौशन कर जाए🙏🙏🙏

    ReplyDelete

राम एक नाम नहीं

राम एक नाम नहीं  जीवन का सोपान हैं।  दीपावली के टिमटिमाते तारे  वाल्मिकी-तुलसी के वरदान हैं। राम है शीतल धारा गंगा की  पवित्र पर...