ना हो कभी कम
इस आसमां को पी जाएं
भर लें बाजुओं में
हवाओं के दम ।।
ऊंची लहर तुम
उठो और ऊँचा
गिरो तो चट्टान बन
भर लूं मैं तुम्हें हमदम।।
कि चलो क्षितिज पार
मंज़िल है वहाँ
जहाँ दूर-दूर सागर से
आसमां मिलता है।।
अब क्या खौफ़... किसी का
हमने मौत से लड़कर
जीवन जीतना सीखा है।।
आशा महासाध्वी कदाचित् मां न मुञ्चति।
।।सधु चन्द्र।।
वाह! आशा अमर है जिसकी आराधना कभी निष्फल नहीं होती!
ReplyDeleteवाह, बहुत सुंदर।
ReplyDeleteजिसके पास हौसला हो उसे भला कौन हारा सकता है ।।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
अपने अनुभव भी साझा करेंगी तो दूसरों को लाभ मिल सकता है ।
ReplyDeleteहमने मौत से लड़कर जीवन जीतना सीखा है....... "
ReplyDeleteपर उसके पलटवार से सावधान भी रहना है !
आशा का संचार करती रचना। जिनके पास हौसला हो वो किसी भी परिस्थिति से नहीं डरते।
ReplyDeleteकि चलो क्षितिज पार
ReplyDeleteमंज़िल है वहाँ
जहाँ दूर-दूर सागर से
आसमां मिलता है।। वाह बेहद खूबसूरत रचना।
सुंदर अभिव्यक्ति 🙏
ReplyDeleteवाह!सुंदर अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteसत्य कहा सधु जी,
ReplyDeleteअब क्या खौफ़... किसी का
हमने मौत से लड़कर
जीवन जीतना सीखा है।।
---सुंदर वचन
बहुत सुन्दर आशावादी रचना ।
ReplyDeleteयही जज़्बा हमेशा रहना चाहिए हर किसी में।
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